कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
समकालीन कविता के सशक्त
हस्ताक्षर भाई अंसार क़म्बरी ने आम आदमी के विविध जीवन संघर्षों,
विसंगतियों, विषमताओं और अन्तर्विरोधों तथा भक्ति, नीति एवं प्रेम
सम्बन्धी भावनाओं को अपने दोहों में प्रस्तुत कर 'अंतस का संगीत' में
संकलित किया है। पिंगलशास्त्र की दृष्टि से यदि इन दोहों का मूल्यांकन
किया जाए तो यही कहा जा सकता है कि कवि अंसार क़म्बरी के दोहों में
त्रिफल, द्विफल और गति की बड़ी विशेषता है। अन्य कवि जिस बात को 8
पंक्तियों तथा 120 शब्दों के माध्यम से कहते हैं, श्री क़म्बरी ने उसी को
2 पंक्तियों और 15 शब्दों में कहने का सफल प्रयास किया है। वस्तुत: दोहा
सबसे संक्षिप्त मात्रिक पदान्त छंद है जिसके 4 चरण होते हैं तथा विषम में
13 और सम में 11 मात्राएं होती है। श्री क़म्बरी ने दोहों की इस शास्त्रीय
मान्यता का सम्पूर्ण निर्वाह किया है। निश्चित ही कहीं-कहीं तो उनके दोहे
सतसई के दोहों के इतने निकट हो जाते हैं कि दोनों में अन्तर करना कठिन हो
जाता है। श्री अंसार क़म्बरी ने हिन्दी खड़ी बोली की लोकव्यवहृत भाषा रूप
को भाषानुकूल एवं विषयानुकूल प्रांजलता प्रदान करते हुए दोहों में प्रयोग
किया है। भाषा के इस सहज प्रयोग के कारण उनके दोहे अर्थगाम्भीर्य रखते हुए
भी सरल प्रतीत होते हैं।
निःसंदेह कहा जा सकता है
कि 'अंतस का संगीत' में संकलित दोहे विचारों की विविधता एवं समसमायिक जीवन
संदर्भों के भाव-चित्रों की प्रस्तुति है। इनके माध्यम से कवि के विविध
विषयक ज्ञान, गम्भीरता एवं अभिव्यक्ति कौशल का परिचय मिलता है, जो निश्चित
ही रचनाकार की दीर्घ काव्य-साधना का परिणाम है। मुझे विश्वास है कि इस
कृति का साहित्य जगत में भरपूर स्वागत होगा।
प्रधानाचार्य,
अरमापुर डिग्री कालेज, कानपुर।
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