लोगों की राय

कविता संग्रह >> अंतस का संगीत

अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545
आईएसबीएन :9781613015858

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

397 पाठक हैं

मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


चलते-चलते 'क़म्बरी', हार गये हैं पाँव।
जीवन भर चलना पड़ा, चार कदम था गाँव।।91

सारी नगरी रौंदते, बुलडोजर के पाँव।
दाना-पानी उठ गया, लौट चलो अब गाँव।।92

बच्चे भूखे सो गये, माँ कितनी मजबूर।
हाई-टेक्निक दौर में, बेबस है मजदूर।।93

सूरज रहते 'क़म्बरी', कर लो पूरे काम।
वरना थोड़ी देर में, हो जायेगी शाम।।94

दोष दे रहा भाग्य को, करे न कोई काम।
फिर भी खुश है 'क़म्बरी', सबके दाता राम।।95

कृषि प्रधान है विश्व में, अपना हिन्दुस्तान।
फिर भी अपने देश में, भूखा मरे किसान।।96

चंदा-सूरज से लगें, गाँधी और सुभाष।
आजादी का देश में, लाये नया प्रकाश।।97

क्या खोकर पाया इसे, कितनी है अनमोल।
पूछो किसी शहीद से, आजादी का मोल।।98

तब के नेता देश को, करा गये आजाद।
अबके नेता देश की, हिला रहे बुनियाद।।99

नेता कुछ सुनते नहीं, लोग रहे चिल्लाय।
बीन बज रही सामने, भैंस खड़ी पगुराय।।100

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book