कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
राधा सच्चे प्रेम का,
मिलता ये ईनाम।
कान्हा से पहले लिया, जग
ने तेरा नाम।।171
चाहे दुनिया घूम लो, भटको
चारों ओर।
भक्ति बिना मिलता नहीं,
राधा का चितचोर।।172
कान्हा तेरे साथ ही, चला
गया सुखचैन।
गोकुल भी बेचैन है, मथुरा
भी बेचैन।।173
चोरी की हर आदमी, करता
निंदा घोर।
दुनिया को भाया मगर, अपना
माखन चोर।।174
अभयदान के बाद भी, इतना
रहे ख़याल।
सौ गाली गोपाल को, मत
देना शिशुपाल।।175
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