कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
तुम हो
तुम हमारे गीत की हर पंक्ति में हो
तुम हमारे भाव की अभिव्यक्ति में हो
कल्पना में रूप का श्रृंगार तुम हो
प्यार भी हो, प्यार का आधार तुम हो
अब हमारी जीत तुम हो, हार तुम हो
तुम हमारे प्रेम की अनुरक्ति में हो
तुम हमारे भाव की अभिव्यक्ति में हो
तुम हमारी साधना का पुण्य फल हो
जिन्दगी में तुम हमारा आत्मबल हो
आँख से निकला नहीं वो अश्रुजल हो
तुम हमारी चेतना की शक्ति में हो
तुम हमारे भाव की अभिव्यक्ति में हो
दूर भी हो दृष्टि से तुम पास भी हो
तुम कभी संयोग हो, संन्यास भी हो
तुम हमारी तृप्ति भी हो, प्यास भी हो
तुम हमारी भक्ति में, आसक्ति में हो
तुम हमारे भाव की अभिव्यक्ति में हो
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