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धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार

अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

मनुष्य जाति को अधार्मिक बनाने वालों में उन लोगों का हाथ नहीं है जिन्हें हम नास्तिक कहते हैं, जिन्हें हम अधार्मिक कहते हैं। मनुष्य जाति को अधार्मिक बनाने वालों में उनका हाथ है जिन्होंने जीवन की निंदा की, जिन्होंने जीवन को बुरा कहा, जिन्होंने जीवन को दुःख और पीड़ा कहा और जिन्होंने जीवन से ही छुटकारे को ही धर्म का लक्ष्य बनाया। धर्म का लक्ष्य जीवन से छुटकारा नहीं है, धर्म का लक्ष्य तो और परिपूर्ण जीवन को उपलब्ध करना है। धर्म का लक्ष्य जीवन से भाग जाना नहीं है, धर्म का लक्ष्य तो उस जीवन को उपलब्ध करना है, जिसका फिर कोई अंत नहीं होता है। धर्म तो परम जीवन की दिशा है। और धर्म, दुःख के भाव से पैदा नहीं होता। दुःख के भाव से कभी भी कोई स्वस्थ्य चीज पैदा नहीं होती है। दुःख के भाव हमेशा से अस्वस्थ दृष्टियां होती हैं-- रुग्ण, बीमार और विक्षिस।

आनंद के भाव से जीवन और जीवन के स्वस्थ अनुभव, जीवन का सौंदर्य और जीवन का सत्य और जीवन का शिवत्व उपलब्ध होता है। इसलिए आज के दिन तीसरे सूत्रों में मैं आपसे कहना चाहता हूँ, अगर जीवन को धार्मिक बनाना है तो दुःख के भाव को छोड़ देना होगा और आनंद के भाव को जगह देनी होगी।

दुःख का भाव क्या है, और आनंद का भाव क्या है? किस भांति हमारे मन में दुःख के भाव को धीरे-धीरे बिठाया गया और किस भांति हमारे मन में आनंद का भाव तिरोभूत हो गया। यह सब समझ लेना जरूरी है।

पहली बात--एक बडे रहस्य की बात, अगर मैं एक फल लेकर आपके पास आऊं, बहुत सुंदर फूल लेकर आपके पास आऊं, एक बहुत सुंदर फूल लेकर आपके पास आऊं, एक गुलाब का फूल लेकर आप के पास आऊं और अगर आप जीवन को दुःख से दुखने के आदी हो गए हैं, और मैं आपसे कहूँ कि कितना सुंदर फूल है। आप कहेंगे छोड़ो भी। यह फूल सुंदर नहीं हो सकता, इस फूल में इतने कांटे होते हैं, जिसका कोई हिसाब नहीं। यह फूल सुंदर कैसे हो सकता है? गुलाब सुंदर कैसे हो सकता है? गुलाब में कितने कांटे हैं। कांटे देखो और कांटों की गिनतियां करो। तो करोड़ कांटे हैं तब कहीं एक फूल है। फूल सुंदर नहीं हो सकता लेकिन अगर आप आनंद के भाव में दीक्षित हो गए हैं तो मैं एक गुलाब का कांटा भी लेकर आपके पास आऊं तो आप कहेंगे, धन्य है यह कांटा क्योंकि इस कांटे के बीच यह गुलाब का फूल पैदा होता है। तो आप कहेंगे, यह कांटा भी कांटा नहीं हो सकता क्योंकि यह गुलाब का कांटा है।

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