लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार

अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

353 पाठक हैं

ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

मैं जो समझ रहा था वह यह कि करुणा अगर गहरी होगी तो उतना आरपार देखेगी। वह इतने पर ही नहीं रुक जाएगी कि इस आदमी को दो रोटी मिल जाए। इसको दो रोटी दे दें, वह बात दूसरी है इस पर रुक नहीं जाएगी कि यह रोटी दे देने से कुछ कम हो गया है। वह इसकी फिकर करेगी कि यह आदमी दो रोटी मागने की स्थिति में क्यों आ गया है? इसका चिंतन, इसका विचार, इसको बदलने की चेष्टा उस करुणा से पैदा होती है।

प्रश्न-- इसको बदलने के लिए क्या मतलब है।

उत्तर-- इस तरह का जो मानसिक इंतजाम है उसे तोड़ने की जरूरत है, तो ही यह टूटेगी। और उस मानसिक इंतजाम का वह हिस्सा है जो मैं कह रहा हूं। कोई भी घटना अगर है तो उस घटना के पीछे कारण है, कारण के पीछे मनुष्य के मन की रचना है। मनुष्य के मन को हमने जिस ढांचे का बनाया है उस ढांचे से वह घटना विकसित हुई है। अगर उस ढांचे को हमने फिर बदलते तो वह घटना भी नहीं बदलने वाली है। गरीबी आकस्मिक नहीं है। हमारी जो सोचने, समझने जीने के ढंग हैं, उनसे पैदा हुई है। उस सोचने समझने के, जीने के ढंग हमारे गलत हैं और गरीबी को बनाए रखने में सहयोगी हैं, यही मैं कह रहा हूं। और मैं यह कह रहा हूं कि दान जैसी व्यवस्था, हम सोचते हैं यही कि हम गरीबी पर करुणा करके कर रहे हैं। हो सकता है, करने वाला यही सोच रहा हो। एक-एक व्यक्तिगत रूप से यही सोच रहा हो कि हम करुणा करके यह कर रहे हैं। लेकिन वस्तुतः यह दान देने का दिमाग गरीबी को बचाए रखने का कारण बनता है और अगर हमें गरीबी मिटानी है तो हमें यह दान देने और लेने वाला दिमाग तोड़ देना पड़ेगा। हमें गरीब को तैयार करना पड़ेगा कि वह इंकार कर दे दार लेने को। गरीब को हमें तैयार करना पड़ेगा। कि वह कहे कि हम गरीबी मिटाना चाहते हैं, दान नहीं लेना चाहते हैं। हमें अमीर से कहना पड़ेगा कि यह दान देने की जो तुम बातें कर रहे हो, यह दान देने की बातें सामाजिक जीवन में खतरनाक हैं और यह नुकसान पहुँचा रही है।

अभी विनोबा ने इतना भूदान करवाया। जिस आदमी से दान करवा लेते हैं उस आदमी में कोई फर्क नहीं होता है, वह वही कड़वा आदमी रहता है। वह इधर जमीन दान करता है और कल से सोचता है कि जितनी जमीन दान की है, इस साल मैं कैसे उतना वापस कमा लूं। वह इधर दान देता है, उधार शोषण करता है। उसके शोषण का दिमाग कहीं नहीं जा रहा है। बल्कि, चूंकि वह शोषण करता है इसलिए दान कर पाता है। तो जोड़ा दानी है वह बड़ा शोषक है। तब वह दान कर पाता है। यानी दान करने की कंडीशन यह है कि आप कितना शोषण कर लेते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book