धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार अमृत द्वारओशो
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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ
काउट कैसर लिग ने एक डायरी लिखी है, हिंदुस्तान से लौट कर। और उसने लिखा है कि हिंदुस्तान जाकर समझ में आया कि टुबी हेल्दी इज टुबी अनस्प्रीचुअल। हिदुस्तान जाकर यह समझ में आया कि स्वस्थ होना एक गैर आध्यात्मिक बात है, अस्वस्थ होना एक आध्यात्मिक खूबी है। तो हिंदुस्तान की शिक्षा यह रही है, शरीर विरोधी। स्नान मत करो, सन्यासी कहते हैं। संन्यासियों के वर्ग है कि स्नान नहीं करते। और आप स्नान करते हैं इसलिए आपको पापी समझते हैं। पसीना आ जाए उसको पोंछो मत क्योंकि पसीने को पोंछना शरीर को सुंदर बनाने की चेष्टा है। और शरीर को सुंदर क्यों बनाएं? शरीर को सुंदर बनाना तो पाप है।
तो मेरा कहना है, शरीर स्वस्थ होना चाहिए, शरीर सुंदर होना चाहिए। ये वैल्यूज हमें कल्टीवेट करनी चाहिए, पांच हजार साल में यह वैल्यूज खत्म हो गयीं। कोई आदमी शरीर के सौंदर्य की चेष्टा करता है तो वह अपने भीतर गिल्टी अनुभव करता है कि वह कोई पाप कर रहा है। एक बच्चा अगर सुंदर दिखाई पड़ता है या वह सुंदर होने की चेष्टा करता है, स्वस्थ होने की, तो वह गिल्टी है। वह कोई अच्छा काम नहीं कर रहा है। फूहड़ कपड़े पहने लड़के तो अच्छे मालूम होते हैं। वह ऐसे कपड़े पहनें जिनमें ताजे और स्वस्थ और सुंदर दिखाई पड़ें तो हमारा समाज विरोध में है इस बात के लिए, कि यह गलत बात है। क्योंकि इसका कारण यह है कि शरीर विरोधी है हमारा चिंतन पूरा; कि हम आत्मा की बात करना चाहते हैं शरीर के विरोध में। तो मेरा पहला कहना है कि शरीर का मूल्य वापस प्रतिस्थापित करना है। शरीर का मूल स्थापित करना है वापस।
शरीर की इस ट्रेनिंग के साथ ही उसी के साथ सैन्य शिक्षण हर बच्चे को मिलना चाहिए। क्योंकि जब तक हम बहुत छोटी उम्र से सैन्य शिक्षण न दें तब तक न तो हम साहस विकसित कर सकते हैं। और जिस बच्चे में साहस नहीं है वह बच्चा कभी भी नैतिक नहीं हो सकेगा। मैं नैतिक जीवन का बुनियादी आधार करेज मानता हूं-- न तो सत्य मानता हूं और न अहिंसा मानता हूं। करेज, जितना साहसी लडका होगा, जीवन में उतना ही वह सत्यवादी होगा। क्योंकि जब भी साहस की कमी पड़ती है तभी आदमी झूठ बोलता है। जब उसको लगता है कि ठग जाएंगे सच बोलने से, तब झूठ बोलने लगता है। जब उसको लगता है कि ईमानदारी की तो नुकसान हो जाएगा तो वह बेइमानी करता है। मेरी दृष्टि में सारी अनीति साहस की कमी से है।
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