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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

क्या तुमने तय कर लिया शराब छोड़ने का। उसने कहा कि नहीं, मैंने शराबखाना खोलने का विचार पक्का कर लिया। मैं और मेरी पत्नी दोनों सहमत हो गए आपकी बात से कि बिलकुल ठीक है। शराबखाना खोलने का मैंने निश्चय कर लिया।

बड़े अजीब नतीजे हैं। हमारा मन बड़े अजीब नतीजे लेता रहता है। जिनकी कल्पना भी नहीं होती समझाने वालो को, जिनकी कल्पना भी नहीं होती शिक्षा देने वालों को, वह हम नतीजे लेते रहते हैं।

फ्रायड एक दिन अपने बच्चे और अपनी पत्नी के साथ एक बगीचे में, वियना में, घूमने गया था। सांझ जब लौटने लगा, अंधेरा हो गया, बच्चा नदारद था। उसकी पत्नी ने कहा कि बच्चा न मालूम कहाँ गया, अब अंधेरे में हम कहाँ खोजेंगे, इतना बड़ा पार्क है। फ्रायड ने कहा, तुमने कहीं उसे जाने को मना तो नहीं किया था, अगर किया हो तो सबसे पहले वहीं देख ले। अगर उसमें थोड़ी भी बुद्धि है तो वह वहाँ मिलेगा। उसकी पत्नी तो हैरान हुई। उसने कहा, मैंने कहा था कि फव्वारे पर, फाउंटेन पर मत जाना। फ्रायड ने कहा, फिर वहीं चलो। सौ में निन्यानबे मौके तो यह है कि वहाँ हो। और अगर वहाँ न हो तो हमको चिंतित होना पड़ेगा। क्योंकि लड़का फिर बुद्धिमान नहीं है।

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