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धर्म एवं दर्शन >> भज गोविन्दम्

भज गोविन्दम्

आदि शंकराचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :37
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9557
आईएसबीएन :9781613012574

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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका


का ते कांता कस्ते पुत्रः,
संसारोऽयमतीव विचित्रः।
कस्य त्वं कः कुत आयातः,
तत्त्वं चिन्तय तदिह भ्रातः ॥8॥

(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)

कौन तुम्हारी पत्नी है? कौन तुम्हारा पुत्र है? वास्तव में यह संसार अत्यंत विचित्र है। तुम किसके हो? तुम कहाँ से आये हो? हे भाई ! अब तुम उस सत्य की चिन्ता करो॥8॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)

kaate kaantaa kaste putrah
samsaaro.ayamatiiva vichitrah
kasya tvam kah kuta aayaatah
tattvam chintaya tadiha bhraatah ॥8॥

Who is your wife ? Who is your son? Indeed, strange is this world. O dear, think again and again who are you and from where have you come. ॥8॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)

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