लोगों की राय

उपन्यास >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

347 पाठक हैं

जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

61


हाथों में चाय की ट्रे सम्हालते हुए, अपने कन्धे से मैंने दरवाजे को धीरे से धक्का देकर खोला। प्रीती मेरे कमरे की दीवार पर बने एक शो केस के सामने खड़ी थी। उसकी नजरें एक पुरानी घड़ी पर थीं। जैसे उसे मेरे अन्दर आने का एहसास हुआ-

‘अंश, ये वो ही घड़ी है न जो मैंने तुमको दी थी?’ उसने अपने खुले से मुँह को हाथों से ढंक लिया।

‘हाँ।’ मैंने ट्रे नीचे रखी और एक कप उसे पकड़ा दिया।

‘थैंक्स।’ उसकी नजरें अभी भी शो केस पर ही थीं। ‘तुमने अब तक सम्हाली है? कमाल है।’

‘कमाल तो और भी है, लेकिन वो बाक्स पता नहीं कहाँ होगा। और असल में ये सब मैंने नहीं मेरी मम्मी ने सम्हाली है और भी बहुत कुछ है जो सम्हाल रखा है।’ मैं उसके बगल में खड़ा हो गया।

‘अभी दिखा सकते हो अंश?’ उसने बड़े चाव से पूछा।

‘नहीं अभी मुमकिन नहीं है, सब सोने चले गये हैं।’ मैंने एक उँगली से माथा खुजाते हुए कहा।

‘ओ के।’

वो मेरे बिस्तर के एक कोने पर बैठ गयी। मैं खुली खिड़की के एक कोने पर खड़ा था। एक दो सिप चुपचाप लेने के बाद-

‘तो बताओ क्या चल रहा है?’

‘बस जी रहे हैं। वैसे... मेरी शादी की बात चल रही है घर पर।’

‘सच?’ ये एक अच्छा सरप्राईज था। ‘तुमने फोन पर तो कभी बताया नहीं। तो तुम शहीद होने वाली हो?’ मैं हँसा।

‘अजी हाँ, इतनी आसानी से नहीं।’ वो भी हँसी लेकिन जल्द ही उसकी हँसी एक फीकी मुस्कान में सिमट गयी। ‘मैं अभी किसी को हाँ नहीं करने वाली, मेरा मन नहीं है अभी। मैं तैयार नहीं हूँ.....।’

‘और इस तरह कभी हो भी नहीं पाओगी। तुम क्यों अपनी जिन्दगी खराब कर रही हो। ये वक्त वापस नहीं आयेगा प्रीती।’

‘जानती हूँ! और मैं चाहती भी नहीं कि ये वक्त कभी वापस आये...’ कप पर अपनी उंगलियों को मसलते हुए- ‘मुझे नहीं चाहिये, ये वक्त। ये जिन्दगी! बस चाहती हूँ कि किसी तरह कट जाये, ये वक्त भी और ये जिन्दगी भी।’ उसने अपनी पलकें मेरी तरफ उठायीं तो पता चला कि वो आसुँओं की दो बूँदें सम्हाले हुए हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book