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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

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आज…. प्रेम किया है हमने….

कसम

‘‘हलवाइन हो!‘‘ देव ने लिखा एक बार फिर से। एक बार फिर से गंगा और देव को ये खामोशी भरा लेकिन गतिशील वार्तालाप शुरू हुआ। क्लास अपनी निर्धारित गति ने चलने लगी।

‘‘हाँ! बोलो बोलो‘‘ गंगा ने कहा लिखकर।

‘‘हमें तुमसे बहुत ज्यादा वाला प्यार हो गया है‘‘ देव ने बताया।

‘‘अच्छा!‘ गंगा को ये जानकर आश्चर्य हुआ। वो कुछ सोच में पड़ गयी।

‘‘कितना ज्यादा वाला प्यार?‘‘ गंगा ने प्रश्न किया।

‘‘जैसा मजनू को लैला से‘‘ देव ने जवाब दिया।

‘‘और?‘‘

‘‘जैसा रोमियो को जूलियट से‘‘

‘‘और?‘‘

‘फरहाद को शीरी से.....’

‘‘और?‘‘

‘सोनी को महिवाल से..... ‘‘

‘‘और? ‘‘

‘‘जैसा रान्झा को हीर से.... ‘‘

‘‘और? ‘‘

‘‘जैसे जारा को वीर से.....‘‘

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