उपन्यास >> गंगा और देव गंगा और देवआशीष कुमार
|
7 पाठकों को प्रिय 184 पाठक हैं |
आज…. प्रेम किया है हमने….
दो महीने बाद
शिवालय
एक लाख बीस हजार आबादी वाले इस छोटे से गोशाला शहर में.....एक शिवालय था। उमा-महेश का शिवालय। यह एक प्रसिद्ध शिव मन्दिर था, जिसका निर्माण पाण्डवो ने करवाया था, ऐसा विदित है।
प्राचीन महाभारत काल मे जब कौरवों ने धोखे से चैपड़ के खेल में पाण्डवों को हरा दिया और उन्हें हस्तिनापुर से खदेड़ दिया, तो पाण्डव भारत मे विभिन्न स्थानों की यात्रा करते करते गोशाला पहुँचे।
दन्त कथाओं के अनुसार कौरवों ने पाण्डवों को कई वर्षों का अज्ञातवास दिया। यदि पाण्डवों की अज्ञातवास के दौरान पहचान हो जाती तो उनका वनवास कई साल और बढ़ जाता। अज्ञातवास के दौरान कौरव पाण्डवों को पहचान न सकें, इस उद्वेश्य के लिए उन्होने इस प्राचीन उमा महेश शिवालय की रचना की। और तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया।
शिव की कृपा हुई और अज्ञातवास के दौरान कौरव पाण्डवों को पहचान न सके। कौरवों को अपना राज्य पुनः प्राप्त हो गया।
जल्द ही शिवलिंग का महत्व समस्त गोशाला वासी जान गये। और शिवलिंग पर आकर प्रतिदिन पूजा अर्चना करने लगे । शिव ने भी अपने भक्तांे को निराश नहीं किया। उनके विभिन्न प्रकार के दुखों को हरना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार ये शिवालय बना गोशाला का पवित्रतम स्थान और गोशाला का पहचान चिन्ह ।
देव भी शिवालय पहुँचा। शिव से बीएड के एग्जाम मे अच्छी रैंक माँगने।
0
|