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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

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आज…. प्रेम किया है हमने….

पिक्चर

‘‘गंगा! कभी सिनेमा गई हो?‘‘ देव ने पूछा लिखकर। क्लास रोजाना की तरह अपनी रेगुलर रफ्तार से चल रही थी।

‘‘रानीगंज में कोई सिनेमा नहीं!‘‘ गंगा ने बताया लिखकर।

‘‘सिनेमा देखने का मन है?‘‘ देव ने पूछा एक बार फिर से बड़े प्यार से।

‘‘पर मेरे पास पैसे नहीं!‘‘ गंगा ने हमेशा की तरह अपनी आर्थिक तंगी बताई।

‘‘मेरे पास हैं बहुत सारे‘‘ देव ने बताया

‘‘पर देव! क्लास का क्या करें?‘‘ गंगा ने पूछा।

‘‘इण्टरवल में भाग चलते है‘‘ देव ने उपाय बताया।

दोनों गोशाला के विनोद टाकीज आये। देव ने दो फैमिली टिकट ली जहाँ पर शादीशुदा लोग बैठते थे। कोई भोजपुरी पिक्चर लगी थी। सिनेमाहाल का पर्दा भी बीच में से फटा हुआ था। साथ ही वहाँ मच्छर भी बहुत थे जो हर 5-5 मिनट पर टीवी पर आने वाले विज्ञापनों की तरह मंडरा रहे थे। मैंने नोटिस किया...

हाल की लाइट्स बन्द हुई और पिक्चर शुरू हुई। अँधेरा हो गया। सभी लोग पिक्चर देखने में मस्त हो गए। गंगा को परदे पर पिक्चर देखते हुए बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। ये पहली बार था जब गंगा ने कोई पिक्चर देखी थी। वो एकटक बिना पलकें झपकायें पिक्चर देखने लगी।

‘‘गंगा! कैन आई गेट वन किस?‘‘ देव ने पूछा इंग्लिश में अपनी नई-नई देहातिन लेकिन बहुत जल्दी गुस्सा जाने वाली प्रेमिका से डरते-डरते।

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