उपन्यास >> गंगा और देव गंगा और देवआशीष कुमार
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आज…. प्रेम किया है हमने….
‘बता देव ये कोर्स करेगा?’ सावित्री ने पूछा उसे मक्खन लगाते हुए कहा।
देव ने सुना। वो सोचने लगा कि क्या करूँ।
‘अच्छा ठीक है! तुम कह रही हो तो सिर्फ इसलिए’ देव ने सिर हिलाया
.....वरना और कोई कहता तो कभी नहीं करता!‘‘ देव ने साफ किया।
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कुछ ही दिनों में बीएड का फार्म निकला।
देव ने फार्म भरा। बाराबंकी जाकर इन्ट्रैंस इक्जाम दिया।
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