| यात्रा वृत्तांत >> घुमक्कड़ शास्त्र घुमक्कड़ शास्त्रराहुल सांकृत्यायन
 | 
			 322 पाठक हैं | |||||||
यात्रा संग्रहों के प्रणेता का यात्रा संस्मरण
फोटोग्राफी सीखना भी घुमक्कड़ के लिए उपयोगी हो सकता है। आगे हम विशेष तौर से लिखने जा रहे हैं कि उच्चघकोटि का घुमक्कड़ दुनिया के सामने लेखक, कवि या चित्रकार के रूप में आता है। घुमक्कड़ लेखक बनकर सुंदर यात्रा-साहित्य प्रदान कर सकता है। यात्रा-साहित्य लिखते समय उसे फोटो-चित्रों की आवश्यकता मालूम होगी। घुमक्कड़ का कर्तव्य है कि वह अपनी देखी चीजों और अनुभूत घटनाओं को आने वाले घुमक्कड़ों के लिए लेखबद्ध कर जाए। आखिर हमें भी अपने पूर्वज घुमक्कड़ों की लिखी कृतियों से सहायता मिली है, उनका हमारे ऊपर भारी ऋण है, जिससे हम तभी उऋण हो सकते हैं, जब कि हम भी अपने अनुभवों को लिखकर छोड़ जायँ। यात्रा-कथा लिखने वालों के लिए फोटो कैमरा उतना ही आवश्यक है, जितना कलम-कागज। सचित्र यात्रा का मूल्य अधिक होता है। जिन घुमक्कड़ों ने पहले फोटोग्राफी सीखने की ओर ध्यान नहीं दिया, उन्हें यात्रा उसे सीखने के लिए मजबूर करेगी। इसका प्रमाण मैं स्वयं मौजूद हूँ। यात्रा ने मुझे लेखनी पकड़ने के लिए मजबूर किया या नहीं, इसके बारे में विवाद हो सकता है; लेकिन यह निर्विवाद है कि घुमक्कड़ी के साथ कलम उठाने पर कैमरा रखना मेरे लिए अनिवार्य हो गया। फोटो के साथ यात्रा-वर्णन अधिक रोचक तथा सुगम बन जाता है। आप अपने फोटो द्वारा देखे दृश्यों की एक झाँकी पाठक-पाठिकाओं को करा सकते हैं, साथ ही पत्रिकाओं और पुस्तकों के पृष्ठों में अपने समय के व्यक्तियों, वस्तुओं, प्राकृतिक दृश्यों और घटनाओं का रेकार्ड भी छोड़ जा सकते हैं। फोटो और कलम मिलकर आपके लेख पर अधिक पैसा भी दिलवा देंगी। जैसे जैसे शिक्षा और आर्थिक तल ऊँचा होगा, वैसे-वैसे पत्र-पत्रिकाओं का प्रचार भी अधिक होगा, और उसी के अनुसार लेख के पैसे भी अधिक मिलेंगे। उस समय भारतीय घुमक्कड़ को यात्रा लेख मिलने से, यदि वह महीने में दो-चार भी लिख दें, साधारण जीवन-यात्रा की कठिनाई नहीं होगी। लेख के अतिरिक्त आप यदि अपनी पीठ पर दिन में फोटो धो लेने का सामान ले चल सकें, तो फोटो खींचकर अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं। फोटो की भाषा सब जगह एक है, इसलिए वह सर्वत्र लाभदायक होगा, इसे कहने की आवश्यकता नहीं।
| 
 | |||||

 i
 
i                 





 
 
		 

