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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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९३

काल पूरा हुआ राम वनवास का


काल पूरा हुआ राम वनवास का
लौट आया समय हर्ष उल्लास का

कोई दरिया नहीं, कोई सागर नहीं
प्यास है अब मुक़द्दर मेरी प्यास का

जा रहे हो मगर लौट आना सनम
तोड़ना मत भरम मेरे विश्वास का

दीन ही दीन हो और दुनिया न हो
कोई मतलब नहीं ऐसे संन्यास का

उसमें अपना भी इक नाम मिल जायेगा
आप पन्ना पलटिये तो इतिहास का

जिस चमन में मोहब्बत की ख़ुशबू न हो
क्या करेंगे भला ऐसे मधुमास का

दृष्टि तो दूर की आप रखते हैं पर
हाल देखें कभी आस का-पास का

चन्द क़दमों का है ज़िन्दगी का सफ़र
मौत की ओर है हर क़दम श्वास का

मिल गये तुम मुझे ‘क़म्बरी’ की क़सम
फल मुझे मिल गया मेरी अरदास का

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