कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
|
3 पाठकों को प्रिय 278 पाठक हैं |
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
९५
वो शायरी में अनोखे ख़याल देता है
वो शायरी में अनोखे ख़याल देता है
के शेर कहता है जब दिल निकाल देता है
जमीं के जिस्म पे चादर सी डाल देता है
दरख़्त धूप को साये में ढाल देता है
ख़ुशी भी देता है रंजो-मलाल देता है
ख़ुदा तो सबको उरूजो-ज़वाल देता है
जो लोग चलते नहीं देख कर ज़माने को
ज़माना उनकी हमेशा मिसाल देता है
ख़ुदा का शुक्र अदा कर कभी ग़रूर न कर
बड़े-बड़ो की वो शेख़ी निकाल देता है
उसी की नेकियाँ एक रोज़ काम आयेंगी
जो नेकी करता है दरिया में डाल देता है
नशीली आँखों से अपनी वो देखकर हमको
हमारे बहके क़दम को सँभाल देता है
अजीब हाल है उसका कि नेट की दुनिया में
वो अपनी छत से कबूतर उछाल देता है
उस आदमी से कभी ‘क़म्बरी’ सवाल न कर
तेरे सवाल को सुन कर जो टाल देता है
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book