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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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९८

घूमता फिरता हूँ आवारा नहीं


घूमता फिरता हूँ आवारा नहीं
इक मुसाफ़िर हूँ मैं बंजारा नहीं

जिसने अपना हौसला मारा नहीं
हार कर भी वो कभी हारा नहीं

आप वादों की वफ़ा भी कीजिये
मीठी बातों से है छुटकारा नहीं

मुठ्ठियों में बन्द है क़िस्मत मेरी
ये कोई आकाश का तारा नहीं

मिल गयी मुझको सजाये मौत क्यों
जानते थे सब मैं हत्यारा नहीं

पहली थी ग़लती तो चलिये माफ़ की
ग़लती अब करियेगा दोबारा नहीं

जाने क्यूँ छूते ही जल जाता हूँ मैं
फूल जैसा है वो अंगारा नहीं

प्यार सब का हैं दिल में बसाये मगर
तुझसे ज़्यादा मुझे कोई प्यारा नहीं

आप जो चाहें वो उसको बोल दें
‘क़म्बरी’ इतना भी बेचारा नहीं

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