कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
|
3 पाठकों को प्रिय 278 पाठक हैं |
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१०२
कहीं पे जिस्म, कहीं सर दिखाई देता
कहीं पे जिस्म, कहीं सर दिखाई देता
गली-गली यही मंज़र दिखाई देता है
दिखा रहे हैं वो प्यासों को ऐसी तस्वीरें
के जिनमें सिर्फ़ समन्दर दिखाई देता है
गुनाहगार नहीं हो तो ये बताओ हमें
तुम्हारी आँख में क्यूँ डर दिखाई देता है
मुझे ये शक है कहीं वो मेरा रक़ीब न हो
तेरी गली में जो अक्सर दिखाई देता है
तुम्हारा दिल हो या काबा हो या हो बुतख़ाना
हमें तो हर जगह पत्थर दिखाई देता है
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book