कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
६
हम कहाँ आ गये आशियाँ छोड़कर
हम कहाँ आ गये आशियाँ छोड़कर
खिलखिलाती हुई बस्तियां छोड़कर
उम्र की एक मंजिल में हम रुक गये
बचपना बढ़ गया उँगलियाँ छोड़कर
नाख़ुदा ख़ुद ही आपस में लड़ने लगे
लोग जायें कहाँ कश्तियाँ छोड़कर
आज अख़बार में फिर पढ़ोगे वही
कल जो सूरज गया सुर्ख़ियाँ छोड़कर
लाख रोका गया पर चला ही गया
वक़्त यादों की परछाईयाँ छोड़कर
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