कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
३१
रौब दुनिया पे अपना जमाने चले
रौब दुनिया पे अपना जमाने चले
वो हवा में इमारत बनाने चले
देश के रहनुमाओं को क्या हो गया
घर में दाने नहीं हैं भुनाने चले
एक जुगनू न बन पाये जो आज तक
और सूरज को रस्ता दिखाने चले
है मुझे ये यक़ीं अब न चल पायेंगे
आज तक आपके जो बहाने चले
जाने क्यूँ उनके माथे पे बल पड़ गये
‘क़म्बरी’ जब हक़ीक़त बताने चले
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