कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
७०
ज़िन्दगी की हसीन राहों में
ज़िन्दगी की हसीन राहों में
लोग ठहरे हैं ख़्वाबगाहों में
थक गये हो ज़रा ठहर जाओ
दो घड़ी याद की पनाहों में
सोचता हूँ तो चौक जाता हूँ
ख़ैरियत से हूँ ख़ैर-ख़्वाहों में
क्या मिला जो मुकर गया तू भी
तू भी तो था मेरे गवाहों में
यूँ हमें बार-बार मत देखो
हम भी आ जायेंगे निगाहों में
कोई साधू नहीं फ़क़ीर नहीं
अब मठों में न ख़ानकाहों में
हम फ़क़ीरों के सर पे ताज कहाँ
हमको ढूँढो न बादशाहों में
ज़िन्दगी कट गयी ख़ुदा जाने
नेकियों में या फिर में या गुनाहों में
‘क़म्बरी’ तुम कहाँ निकल आये
मंज़िलें छुट गयी हैं राहों में
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