कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
७६
लौटकर जब कभी जाना मेरे घर कह देना
लौट कर जब कभी जाना मेरे घर कह देना
हो गया है मेरा दुश्मन ये नगर कह देना
क़त्ल होता रहा मैं शामों-सहर कह देना
और अब तक है मेरे जिस्म पे सर कह देना
जो मेरा नाम भी लेगा वो सज़ा पायेगा
आजकल शहर में फैली है ख़बर कह देना
मैं बहुत देर से बैठा हूँ सलीबों के क़रीब
अब किसी बात का मुझको नहीं डर कह देना
ये यक़ीं है मुझे मिल जायेगी मंजिल लेकिन
मुझको करना है अभी और सफ़र कह देना
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