लोगों की राय

कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

278 पाठक हैं

आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


८४

इस पार देखकर कभी उस पार देखकर


इस पार देखकर कभी उस पार देखकर
हैरत में पड़ गया तेरा दीदार देखकर

मेरे जमीर की कोई क़ीमत लगा न दे
डरने लगा हूँ रौनक़े बाज़ार देखकर

राहे सफ़र में धूप है, मंजिल भी दूर है
मैं रुक गया हूँ साया-ए-दीवार देखकर

मेरी मशक्क़तों को कोई देखता नहीं
जलते हैं लोग बंगला मेरी कार देखकर

कैसी कशिश है आपके चेहरे पे क्या कहूँ
भरता नहीं है जी मेरा सौ बार देखकर

तस्वीर भी छपी मेरी ग़ज़लें भी है छपी
खुश हो रहा हूँ आजका अख़बार देखकर

शायर का ‘क़म्बरी’ यही मेयार हो गया
अश्आर कह रहा है वो दरबार देखकर

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book