कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
९६
आँधियों में दिये जलाना है
आँधियों में दिये जलाना है
बंजरों में फ़सल उगाना है
जिसको आना है, उसको जाना है
ये किसी का नहीं ठिकाना है
लोग बैठे हैं इसमें राहत से
ये मोहब्बत का शामियाना है
मैं नहीं तो जहाँ में कुछ भी नहीं
मैं अगर हूँ तो ये ज़माना है
आप सबसे तो खुल के मिलते हैं
मुझसे मिलने में क्यूँ बहाना है
तीर सीधा लगा है दिल पे मेरे
कितना प्यारा तेरा निशाना है
सिर्फ़ बदले हैं सींप के मोती
है समन्दर वही ख़ज़ाना है
तुझको आवाज़ दे रहा हूँ मैं
गीत गाना तो इक बहाना है
आप दौलत–कदे में रहते हैं
मेरा घर तो ग़रीबख़ाना है
वो वहाँ पर पहुँच ही जाता है
जिस जगह जिसका आबो-दाना है
तेरे दिल में ख़ुशी की दौलत है
मेरा दिल दर्द का ख़ज़ाना है
घर से मस्जिद भी दूर है उस पर
रास्ते में शराबख़ाना है
सिर्फ़ ये गाँव का दरख़्त नहीं
ये परिंदों का आशियाना है
आप सुधरे नहीं हैं करगिल से
‘क़म्बरी’ फिर सबक़ सिखाना है
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