कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१०३
मैं आईना हूँ किसी को दिखा लिया होता
मैं आईना हूँ किसी को दिखा लिया होता
गिरा के मुझको कभी आज़मा लिया होता
ये बस्तियाँ तो बहुत पहले जल गयी होतीं
जो हमने अपना यहाँ घर बना लिया होता
चराग़ करते हो रौशन तो मस्जिदों में मगर
चराग़ पहले घरों में जला लिया होता
अना हमारी वहीं टूट कर बिखर जाती
जो हमने होंठ से साग़र लगा लिया होता
तुम्हारा दिल भी बहलता, सुकून भी मिलता
हमारा गीत अगर गुनगुना लिया होता
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