कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
४
न कर ग़रुर अभी है, अभी रहे न रहे
न कर ग़रुर अभी है, अभी रहे न रहे
कोई भरोसा नहीं ज़िन्दगी रहे न रहे
हमारे साथ उजाले हैं तेरी यादों के
हमारी राह में अब रौशनी रहे न रहे
मैं अपनी प्यास से ही प्यास को बुझाता हूँ
मेरे नसीब में कोई नदी रहे न रहे
मुझे यक़ीं है फ़िज़ायें तो गुनगुनायेंगी
किसी को याद मेरी शायरी रहे न रहे
सुना रहा है तो सुन लीजिये ग़ज़ल उसकी
न जाने बज़्म में फिर ‘क़म्बरी’ रहे न रहे
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