कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
३०
जब से पश्चिम से सूरज निकलने लगा
जब से पश्चिम से सूरज निकलने लगा
रौशनी क्या हुई देश जलने लगा
आग ऐसी उगलने लगा आसमाँ
सर्द झीलों का पानी उबलने लगा
आईने आस्तीने चढ़ाने लगे
पत्थरों का कलेजा दहलने लगा
धूप से डर गये जब मेरे हम-सफ़र
मेरा साया मेरे साथ चलने लगा
जब कभी झोपड़ी सर उठाने लगी
जाने क्यों ये हवेली को खलने लगा
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