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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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३८

वक़्त से माँगें तो क्या माँगें


वक़्त से माँगें तो क्या माँगें वो क्या देगा हमें
सिर्फ़ इक उड़ता हुआ बादल दिखा देगा हमें

नाव की हमको ज़रूरत है न है पतवार की
मिस्ले-मूसा ये भी दरिया रास्ता देगा हमें

इसलिये बैठे हुये हैं पेड़ के साये में हम
फल नहीं देगा तो क्या ताज़ा हवा देगा हमें

बाप बूढा हो गया तो बोझ मत समझो उसे
कुछ नहीं देगा तो जीने की दुआ देगा हमें

हाथ फैलाना किसी के सामने अच्छा नहीं
देने वाला है जो सबको वो ख़ुदा देगा हमें

अपना चेहरा देखने को हमने देखा आईना
क्या पता था आईना भी मुँह चिढ़ा देगा हमें

हाँ ! कभी उसका अकेले में जो दिल घबरायेगा
याद आयेंगे, वो ढूँढेगा. सदा देगा हमें

हमको अब तक अपने साये पर भरोसा था मगर
क्या पता था वो अँधेरे में दग़ा देगा हमें

इस क़दर मक़बूल है वो इस क़दर मशहूर है
जिससे पूछेंगे वही उसका पता देगा हमें

इसलिये रहते नहीं हैं नींद में अब ‘क़म्बरी’
ख़्वाब में आयेगा वो, आकर जगा देगा हमें

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