कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
४६
मैं बनाऊँगा तेरी मूर्तियाँ
मैं बनाऊँगा तेरी मूर्तियाँ
चाहे काट ले मेरी उँगलियाँ
मैं सुना रहा था कहानियाँ
वो बुझा रहे थे पहेलियाँ
मेरे पास सिर्फ़ दुआयें हैं
कोई लाख दे मुझे गालियाँ
मैंने ख़ुद चराग़ बुझा दिया
मेरा क्या करेंगी ये आँधियाँ
है सवाल सिर्फ़ नये-नये
वही इम्तेहाँ, वही कापियाँ
मैं तो मेहमान हूँ वक़्त का
बड़ी दूर है मेरा आशियाँ
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