कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
६०
टूटे हैं हमपे इतने सितम टूट गये हैं
टूटे हैं हमपे इतने सितम टूट गये हैं
सच कह रहे हैं तेरी क़सम टूट गये हैं
देखा जो हमने छू के तो एहसास हुआ है
आईना तो टूटा नहीं हम टूट गये हैं
हम बन्द किया आँख जहाँ देख रहे थे
आँखें खुली तो सारे भरम टूट गये हैं
मैख़ाने नहीं जायें तो फिर जायें कहाँ हम
बस्ती में सभी दैरो-हरम टूट गये हैं
फ़नकार हुये जब से क़लम बेंचने वाले
हैं ‘क़म्बरी’ जो अहले-क़लम टूट गये हैं
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