कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
७१
होगा दरिया तो होगा साहिल भी
होगा दरिया तो होगा साहिल भी
राह होगी तो होगी मंजिल भी
उस मुक़दमे का फ़ैसला क्या हो
जो है मक़तूल वो है क़ातिल भी
प्यार के तीर के निशाने पर
आपका दिल भी है मेरा दिल भी
महफ़िलों में मिली है तन्हाई
और तन्हाईयों में महफ़िल भी
क्यों हमेशा उदास रहता है
ख़ुद से एक बार ही सही मिल भी
‘क़म्बरी’ का तो हाल मत पूछो
होश में रहके वो है ग़ाफ़िल भी
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