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			 उपन्यास >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
पूनम के पीले अधरों पर फीकी-सी मुस्कान उभरी जैसे उसे अंजना के निर्णय पर विश्वास न हुआ हो। परछाइयों की तरह उभरकर मिट जाने वाला इरादा था यह!
वह बोली-''एक बात कहूं?''
''कहो।''
''मानोगी?''
''हूं।''
''तुम मेरे साथ नैनीताल चलो।'' 
अंजना पूनम की बात सुनकर चकित हो उसे निहारने लगी। पूनम ने फिर वह बात दुहराई तो अंजना ने साफ इंकार कर दिया।
पूनम ने सहानुभूति जताते हुए उसे समझाया- ''पागल न बन। इतनी बड़ी दुनिया में अकेले कहां भटकेगी!''
''कहीं भी, लेकिन किसी दूसरे का बोझ नहीं बनूंगी।''
''मैं कोई पराई हूं! मेरी अच्छी बहन! मान जा। मेरा अजीरन जीवन भी तुम्हारा साथ पाने से कट जाएगा और तू भी नया जीवन अपना सकेगी।''
			
						
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