कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
106. यदि नारी मालकिन बने तो
यदि नारी मालकिन बने तो
तो नारी से नारी दुखी
यदि नारी नौकरानी बने
तो भी नारी से नारी दुखी
दुखी है नारी, नारी से ही
जबकि पैदा होती नारी से नारी
नारी से पैदा हुई नारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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