कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
|
268 पाठक हैं |
मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
50. सहेली के कहने पर मैंने
सहेली के कहने पर मैंने
उस लड़के को फोन किया
आज के दिन ही आज उसे
मैंने जैसे बुला लिया
गाँव से दूर शहर में
बस स्टैंड पर हम मिले
मैं निडर, आभारी हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book