| कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
    
    
85. कहने लगा फिर वह बेटा मेरा
कहने लगा फिर वह बेटा मेरा
अब जो हुआ, पोता तेरा
करेंगे अब धर्म, कहो माँ
क्या यह वचन सही है मेरा
वर्षों बाद आज हे माता
सूनी गोद में फूल खिला
यह सुन मना कर जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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