कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
|
6 पाठकों को प्रिय 268 पाठक हैं |
मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
14. अब जब पाँचवी पास करी तब
अब जब पाँचवी पास करी तब
अव्वल नम्बर लेकर आई
मात-पिता को दिखाये नम्बर
पिता की आँखे डब-डबाई
लगा लिया मुझको सीने से
आँसू बहने लगे आँखों से
ये देख उनके आँसू पांछती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book