कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
5. अब हर दिन हर रात मैं
अब हर दिन हर रात मैं
करती मिन्नतें भगवान से
मुझे बचा लें मेरे ईश्वर
इस निर्दयी पापी जहां से।
कभी सोचती निराश हो जाती
पर कुछ भी ना मैं कर पाती,
कैसी दुर्भाग्य की मारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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