कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
|
6 पाठकों को प्रिय 268 पाठक हैं |
मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
70. बच्चे काबिल, शादी कर दी
बच्चे काबिल, शादी कर दी
घर में शादी ने खुशियाँ भर दी
चारों ओर के चारों कोने
चारों तरफ थी हर खुशी
आज मैं भी बस खुशी से
झूम रही थी अपनी मस्ती में,
मैं खुशियों की दीवानी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book