उपन्यास >> राख और अंगारे राख और अंगारेगुलशन नन्दा
|
9 पाठकों को प्रिय 299 पाठक हैं |
मेरी भी एक बेटी थी। उसे जवानी में एक व्यक्ति से प्रेम हो गया।
‘मेरी भी एक बेटी थी। उसे जवानी में एक आवारा व्यक्ति से प्रेम हो गया। मेरे लाख समझाने पर भी वह बाज न आई और एक दिन वह उसके साथ भाग गई परन्तु उस आवारा ने उससे विवाह नहीं किया और उसे नर्तकी बनाकर बीच मझदार में छोड़ दिया और स्वयं उसकी कमाई पर ऐश करता रहा-'
-इसी उपन्यास में से
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book