कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
रक्तबीज
रक्तदान शिविर आयोजकों
आपने रक्तबीज
रोप दिए जमीन में।
एक दिन अंकुरित होंगे
खेत खलिहान लहराने लगेंगे।
पौधे पुष्पित होंगे
रक्त थैलियों के अनुरूप
लाल गुलाब खिल जाएंगे।
पुष्प फिर बीज बनेंगे
सब प्रस्कुटित होकर
बिखर जाएंगे
एक खेत से दूसरे
दूसरे से तीसरे - निरन्तर आगे।
फिर-बीजने की जरूरत नहीं
फसल स्वयं उगेगी
आप काटते जाइए
ब्लड-बैंक को भरते जाइए।
लोग, लाभकारी फसल उगाते
आप मानवता को उगाइए
केवल एक प्रयास;
फूलों की घाटी में
कोई पुष्प बीज नहीं रोपता
स्वयं अंकुरण, पुष्पित और
फलित होता।
आपने भी रोप दिए
प्रत्येक शहर गांव में।
अब,
रक्त के अभाव में
कोई जिन्दगी खोएगा नहीं
रक्त की फसल लहलहाती रहेगी,
सदाबहार।
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