लोगों की राय

कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

321 पाठक हैं

स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


खून और पानी


बड़ी समानता है
कुएं और शरीर में
पानी न निकला तो
थमने लगेगा,
बिगड़ने लगेगा,
जमने लगेगा,
गंदा होने लगेगा।

रक्तदान करोगे
ताजा बनने लगेगा
न किया तो
आपका तन
अंधकूप बन जाएगा।

खून को आजाद करो
कुंए को आबाद करो
फिर न डायन सताएगी
न अजन्मी चिल्लाएगी।

एक अन्तर है
शरीर और कुंए में -
कुंआ कहता है
पानी बाहर निकालो
शरीर रक्तदान करता है
महान काम करता है।

खून और जल
दोनों ही जीवन हैं
जीवन के रक्षक हैं।

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book