कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
जिन्दगी और मौत
मैं मरूंगा नहीं प्रिय
केवल शरीर बदल जाएगा
कहे अनकहे शब्द
दृश्यों की स्मृतियां
कभी लुप्त नहीं होती।
मौत एक खेल है
जीत हार की चिंता से अलग
जीने का जीवंत रहने का।
मौत जब शाश्वत है
फिर उससे डर कैसा,
मौत से पूर्व
बार-बार मरना कैसा।
मौत से तो डर नहीं
तुम्हारी आखों में पसरी वेदना
चिंतित करती है केवल।
मेरे हिस्से में आए
जितने सुन्दर पल
मुझे उनको जीने दो
अपने समीप रहने दो।
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