कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
जिन्दगी
मौत का भय नहीं
अब उसको,
स्वैच्छिक रक्तदान
करने तथा कराने का
संकल्प किया उसने।
वह जहां भी रहेगा
जिंदा रहेगा।
स्वर्ग में नरक में
कोई अन्तर नहीं पडता
क्योंकि सुर-असुर
सबका रंग लाल है।
खून किसी का भी हो
सदा जिंदगी बचाता है।
कोई जीवन
बांध नहीं सकता उसको
मौत जब चाहे
छीन ले नश्वर शरीर।
वह सदा जिंदा रहेगा
एक तन से दूसरे में
दूसरे से तीसरे में
वह सदा जिंदा रहेगा।
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