कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
प्रथम रक्तदान
प्रथम बार उसने
बांह में सुई लगते
रक्तदान होते देखा,
वह घबराया।
पिताजी रक्तदान
करके मुस्कुराते
हुए आए तो... ...
उसे घबराया देख
समझाया.. ..।
मेरा कुछ न बिगड़ा
कुछ घंटों में यह
खून फिर बन जायेगा,
पर इस एक बोतल से
एक अनमोल जीवन
बच जायेगा।
तब पांचवीं कक्षा में
पढता था,
और उसके बाद तो
रक्तदाता पापा के साथ
वह हर शिविर में गया
भय छूमंतर हो गया
आज बारहवीं वर्ष गांठ पर
वह रक्तदाताओं की पंक्ति में
प्रथम स्थान पर खड़ा है।
प्रफुल्लित मन, उल्लसित तन।
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