कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
|
5 पाठकों को प्रिय 321 पाठक हैं |
स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
तुम मुझे खून दो
रक्तदान उन्मादित करता
देश प्रेम भरता।
तभी तो
आजादी के लिए
भारत माता के लिए
सुभाष ने
खून माँगा था,
बलिदान लहू माँगता है।
सरहद पर
घायल वीर सैनिक
माँगता रक्त नौजवानों से
स्वतन्त्रता भोगते दीवानों से।
खून तो बस वही खून है
जो देश के काम आए
जवानों के काम आए
परोपकार में बस जाए
अजनबी से दुआ पाए।
इसलिए हे प्रभु
सच्चे मन से प्रार्थना है
स्वैच्छिक रक्तदान का भाव
स्थायी बन जाए।
बार-बार रक्तदान
करने का बल
भर जाए।
0 0
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book