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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


रक्तदान परिवार


गली के सभी बच्चे
रक्तदान रक्तदान खेल रहे थे
प्रज्ञांशु ने गर्व से कहा –
मेरे दादा-दादी रक्तदान करते हैं
लक्ष्य ने स्वाभिमान से कहा –
मेरे मम्मी-पापा भी रक्तदान करते हैं।
गुड्डू ने चहक कर कहा –
मेरे चाचा-चाची भी रक्तदान करते हैं।
इति ने कहा –
भइया भी स्वैच्छिक रक्तदान करता है।
दीपू ने कहा –
कभी-कभी मेरी बहन भी रक्तदान करती है।
पंकज ने कहा –
मेरा दोस्त भी रक्तदान करता है।
मिति ने कहा –
मेरे नाना-नानी जन्मदिन पर रक्तदान करते हैं।
तुषार ने कहा –
मेरे गुरु जी भी शिक्षक दिवस पर रक्तदान करते हैं।

मुनिया उदास है
उसको कुछ नहीं सूझता
अचानक वह चिल्लायी-
'फिर क्या है
१८ वर्ष पूरे होने पर,
मैं भी रक्तदान करूँगी।

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