कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
खून और पानी
बड़ी समानता है
कुएं और शरीर में
पानी न निकला तो
थमने लगेगा,
बिगड़ने लगेगा,
जमने लगेगा,
गंदा होने लगेगा।
रक्तदान करोगे
ताजा बनने लगेगा
न किया तो
आपका तन
अंधकूप बन जाएगा।
खून को आजाद करो
कुंए को आबाद करो
फिर न डायन सताएगी
न अजन्मी चिल्लाएगी।
एक अन्तर है
शरीर और कुंए में -
कुंआ कहता है
पानी बाहर निकालो
शरीर रक्तदान करता है
महान काम करता है।
खून और जल
दोनों ही जीवन हैं
जीवन के रक्षक हैं।
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