कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
मेरा प्रिय रक्तदाता
मन कृतज्ञता से बोझिल
ढेरों प्रश्नों में उलझा
किससे पूछूँ?
कोई नहीं जानता।
जन्मदाता पिता को जानता हूँ
उसका विश्वास हूँ मैं
ममता माँ को जानता हूँ
उनकी आशाओं का दीप हूँ मैं।
परन्तु उसको नहीं जानता
जिसने निःस्वार्थ जीवन दान दिया।
मेरे लिए स्वैच्छिक रक्तदान किया।
कैसे आभार करूँ उसका?
मुस्कान का उपहार कैसे दूँ?
ऐसे दयावान, दानशील
रक्तदाता के चरण-स्पर्श कैसे करूँ....?
कोई तो एक है
जो स्वैच्छिक रक्तदाता है
उसका गाँव नहीं मालूम
उसका नाम नहीं मालूम
परन्तु है तो रक्तदाता।
इसलिए सभी रक्तदाताओं में
अपने जीवनरक्षक का
अक्ष देखता हूँ।
मन भारी है
अहसान में दबा हूँ
कब, कैसे उऋण हूँगा
इस चिन्ता में पड़ा हूँ।
गुरुदेव मेरी पीड़ा जानते हैं।
एक दिन अपने पास बैठाकर
प्यार से समझाया।
अपने जीवनदाता को
तुम खोज नहीं सकते
उसका ऋण कभी
चुका नहीं सकते।
एक काम करो
उसका अनुकरण करो
जो उसने किया
तुम भी वही करो....
बार-बार रक्तदान करो
स्वैच्छिक रक्तदान कराओ
सारा संताप मिट जाएगा।
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