कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
प्रकृति के साथ रिश्ता
जाने क्या रिश्ता है प्रकृति सेजो जुड़ गया हूं बस इसी से।
ये ऊंचे-ऊंचे लाल काले पहाड़
बड़े वन ऊंची नीची नालियों में
शेर हमेशा जहां लगाते हैं दहाड़
फिर भी डर नहीं लगता है मुझे
मां का पूत हूं मैं मानूं फिर भी
दिया है जन्म क्या प्रकृति ने मुझे।
जाने क्या रिश्ता है प्रकृति से
जो जुड़ गया हूं बस इसी से।
सुन्दर प्यारी चारों ओर हरियाली
फैलती है महक शीतल वायु में
मिलती है जीवन की खुशहाली
आती हैं बहारें कांटों भरे जीवन में
राज की यह बात है हे मानव
हर कोई समझ नहीं पाता इसे।
जाने क्या रिश्ता है प्रकृति से
जो जुड़ गया हूं बस इसी से।
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